शनिवार की शाम को दिखा चॉद, रविवार से शुरु हुआ पहला रोजा
अज़्मतों एवं बरकतों का महीना हैं पाक-ए-रमजान
बस्ती-
इस्लामी कैलेंडर में शाबान के महिने का बड़ा महत्व हैं। जैसे ही शाबान का महीना गुजरने लगता है वैसे ही मुसलमानों की धड़कनें तेज़ होने लगती हैं। शाबान के महिने के तत्काल वाद पाक-ए-रमजान का महिना शरू हो जाता हैं। जिसे पाने के लिए हर मुसलामां बेताब रहता हैं। जमदाशाही के धर्मगुरू मौलाना मोहम्मद आयूब कादिरी व प्रधानाचार्य अलिमिया निश्वां मौलाना मोहम्मद फारूख निज़ामी ने एक शेर के माध्यम से कहते हैं कि,
रमज़ान का महीना बड़ी बरकतों का है,
यह बरकतों के साथ बड़ी अज़्मतों का भी है।
रोज़े भी रखो और तरावीह भी पढ़ो तुम,
रमज़ान का महीना बड़ी नेमतों का है।।
कहते हैं कि ये सब्र का महीना है। जिस भी बंदे ने अपनी भूख प्यास के साथ विशेष रूप से अपनी नमाजों और तिलावत-ए-कुरआन को गले लगा लिया हैं उसके लिए ये निजात है। इसके साथ ही मार्फत ए-इलाही को भी पा लेता है। कहा कि शाम को ठंड का असर कायम हैं पर दिन में गर्मी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया हैं। ऐसे में कुछ दिक्कतें तो रोज़दारियों को ज़रूर देखने को मिल सकती है। लेकिन जो खुदा के नेक और सालेह बंदे होंगे। उनके लिए धूप, गर्मी और प्यास की शिददत कोई मायने नहीं रखती हैं। आज से मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ों के लिए एहतमाम किया जा रहा है। कल इतवार को रमज़ान का पहला रोज़ा रखा जाएगा। जबकि शनिवार की शाम को चॉद दिखते ही तरावी की नमाज पढ़ने हेतु नमाजी मस्जिदों की तरफ अपना रूख करेगें।
क्षेत्र के सिसवारी मस्जिद, पुरैना, बसडीला, विछियागंज, जमदाशाही, मझौआमीर, गंधरिया फैज, खम्हरिया, परसा सूरत, पड़िया, पैंड़ा खरहरा, तरेता, रसूलपुर, रानीपुर, सिहारी, अमौली, परसा जाफर, मुजहना, परसा हज्जाम के मस्जिदों में साफ सफाई आदि की व्यवस्था कर ली गई हैं। सिसवारी के सफात मोहम्मद खान एवं गंधरिया फैज के अमजद अली खान ने बताया कि रमजान के पहले रोजे में गॉव के अशरफी जामा मस्जिद में जुन नुरैल हाफिज के द्वारा तरावी तथा अमजद अली खान व कलीमुल्लाह द्वारा सभी रोजेदारों के इफ्तार का विशेष प्रबंध किया गया।