रमजान माह के पहले जुमा के दिन हजारों रोजेदारों ने पढ़ी जुमें की नमाज
इमामों ने अम्न-वो-शान्ति का दिया पैगाम
बस्ती-विकास क्षेत्र साऊंघाट की ग्राम पंचायत गंधरिया फैज, जमदाशाही, मझौंआमीर, खम्हरिया, अमौली, परसा जाफर, परसा हज्जाम, सिसवारी, पुरैना, विछियागंज के जामा मस्जिदों में पवित्र माह-ए- रमजान के पहले जुम्में के दिन हजारों लोगों द्वारा जुमें की नमाज अदा की गई। क्षेत्र के सिसवारी में शफात मोहम्मद खान, पुरैना में अली हसन, विछियागंज के औलिया मस्जिद में मौलाना मुफ्ती निजामुददीन, प्राचीन नुरानी मस्जिद जमदाशाही में मौलाना फारूख निजामी अलीमी, जामा मस्जिद जमदाशाही में मौलाना मुफ्ती सईद, दारूल उलूम इस्लाहुल मुस्लिमिन जमदाशाही में मौलवी रियाज अहमद, अशरफी जामा मस्जिद गंधरिया फैज में मौलाना मुशाहिद रजा द्वारा पहले जुमे की नमाज पढाई गई। रमजान माह के पहले जुमें की नमाज में इमामों ने अम्न-वो-शान्ति की दुआ के साथ देश की तरक्की का पैगाम दिया गया। धर्मगुरू मौलाना मोहम्मद अयूब खान कादिरी, इमाम मुशाहिद रजा, अमजद अली खान ने नमाजियो को समाज, देश, प्रदेश के अम्नों शान्ति में अपने योगदान को देने का पैंगाम दिया गया।
जमदाशाही के धर्मगुरू मौलाना मोहम्मद अयूब खान ने कहा कि जामा मस्जिद कादिरिया अहलें सुन्नत काफी पुरानी मस्जिद है। कहा कि 1888 के पहले ये मस्जिद छप्पर में संचालित थी। उसके बाद इस मस्जिद को मिट्टी की मोटी मोटी दिवालों तथा खपरैल से बनाई गई थी। जहाँ पर जमदाशाही क्षेत्र के चारों तरफ के दर्जनों गाँवों के लोग यहाँ आकर नमाज पढ़ते थे। नम़ाज पढ़ने के लिए स्थान कम था, तब लोग मस्जिद के चारों तरफ बैंठक नम़ाजे अदा करते थे। कहा कि सन 1888 के बाद इस मस्जिद को शहीद कर पोख्ता चुने व राविस के मिश्रण से पुनः तामिल किया गया। कहां कि धीरे धीरे नम़ाजियों की जब संख्या बढ़ने लगी तो सन 1984 में पुनः इस मस्जिद को शहीद किया गया। मस्जिद के पूरब की जमीन को खरीद कर सन 1984 में कुसादा पोख्ता मस्जिद की तामील की गई। जिसके ऊपर व नीचे 44 लाइनें बनवाया गया। जहाँ पर एक साथ बैंठकर सैंकड़ों लोग नम़ाज पढ़ते चले आ रहें हैं। पवित्र माह रमजान में तो यहाँ पर इतनी भीड़ इकठठा हो जाती हैं कि जगह ही कम पड़ जाती हैं। जिसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना पड़ता हैं। यहाँ पर पॉचों वक्त की नमाज पढ़ी जाती हैं। दारूल उलूम अलिमिया जमदाशाही के हजरत भी जुमा तथा अन्य दिनों में तकरीर करते हैं। धर्मगुरू मौलाना मोहम्मद अयूब खान की निगरानी में तरावी का इंतजाम किया जाता हैं। पवित्र माह रमजान के जुमा के दौरान देश प्रदेश की अम्नों शांति व खुशहाली का पैगाम दिया गया हैं। इसके साथ ही गरीब, बेबश, फकीर व वेसहारा लोगों को रूपये, कपड़े व अनाज देकर मदद किया जाता है। जामा मस्जिद गंधरिया फैज के इमाम मुशाहिद रजा व अमजद अली खान ने कहा कि दिन में खाने पीने की बात सोचना तक गुनाह हैं। पर, गरीबों की मदद करना शबॉब हैं।
क्षेत्र के मदरसा अहले सुन्नत निजामियां फैजाने रजा पैंड़ा खरहरा, सिसवारी, पड़िया खास,तकियवां, पुरैना, बसडीला, दौलतपुर, अमौली, हड़िया, कोड़रा, साऊंघाट, सिहारी, पुरैना, रानीपुर, रसूलपुर, तरेता, तेलियाडिह, व्योतहरा, दुदरांक्ष, परसा सूरत, धौरहरा, खम्हरिया, परसा जाफर, दसौती, सोनहटी बुजुर्ग, विल्लौर, परसा हज्जाम सहित क्षेत्र के मस्जिदों में जुमें का पहला नम़ाज अदा किया गया।