मारपीट के आरोपी भाई बहन दोषसिद्ध , एडीजे कोर्ट ने एक वर्ष के परीवीक्षा पर छोड़ा
-घर में घुसकर बिना आशय हत्या के प्रयास का कायम हुआ था अभियोग
-परिवीक्षा काल के दौरान अपराध कारित करने पर कोर्ट पारित करेगा आदेश
संत कबीर नगर । मारपीट के आरोपी भाई बहन को अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने दोषसिद्ध करार देते हुए सशर्त एक वर्ष के परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया । आरोपी भाई मोहम्मद वसीम व बहन सोफिया खातून को सदाचरण बनाए रखने की शर्त पर 20 हजार रुपए के व्यक्तिगत बंधपत्र व समान धनराशि के दो जमानतनामा पर एडीजे की कोर्ट ने रिहा किया । कोर्ट ने परिवीक्षाकाल के दौरान समान प्रकृति का अपराध कारित करने पर दण्डादेश के विन्दु पर आदेश पारित करने का भी फैसला दिया । कोर्ट ने आरोपियों को बिना आशय हत्या के प्रयास के आरोप में दोषमुक्त करने का फैसला दिया ।
मामला जिले के कोतवाली खलीलाबाद थानाक्षेत्र के नगर पंचायत मगहर के मोहल्ला शेरपुर रेहरवा का है । सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि प्रकरण में अब्दुल हलीम पुत्र हाफिज मोहम्मद नजीर ने अपने सगे भाई , भतीजी व भतीजे के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराया था । उनका आरोप था कि दिनांक 24 फरवरी 2011 को समय छः बजे शाम को पुरानी रंजिश को लेकर अब्दुल रहीम उर्फ मल्लू पुत्र हाफिज मोहम्मद नजीर , उनका पुत्र मोहम्मद वसीम व पुत्री सोफिया खातून लाठी डंडा लेकर दरवाजे पर चढ़ आए और गाली देने लगे । गाली देने से मना करने पर घर में घुसकर कर मारने लगे । शोर पर पत्नी व बेटा बचाने आए तो उन्हें भी मारे । वादी व पत्नी को गम्भीर चोट आईं । जान से मारने की धमकी भी दिया । घायलावस्था में जिला अस्पताल गए । स्थिति गम्भीर देख चिकित्सकों ने मेडिकल कालेज गोरखपुर रेफर कर दिया । पुलिस ने घर में घुसकर मारने का अभियोग पंजीकृत किया । विवेचना के दौरान पुलिस ने घर में घुसकर मारने की धारा का विलोपन करके तीनों आरोपियों के विरुद्ध बिना आशय हत्या करने के प्रयास का आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया । सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि विचारण के दौरान आरोपी अब्दुल रहीम उर्फ मल्लू की मृत्यु हो गई । अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने पर आरोपियों को मारपीट व गाली देने के आरोप में को दोषसिद्ध करार देते हुए सदाचरण कायम रखने की शर्त पर एक वर्ष के परिवीक्षा पर रिहा किया । जबकि गाली देने व बिना आशय हत्या के प्रयास के आरोप में दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया ।