दुष्कर्म के आरोपी को 11 वर्ष , पिता , भाई व मां को पांच वर्ष का सश्रम कारावास , 34 हजार का अर्थदण्ड

-एसपी के आदेश पर पंजीकृत हुआ था अपहरण का अभियोग

-पाक्सो कोर्ट का फैसला , नालसा प्रतिकर स्कीम के तहत पीड़िता को 20 हजार क्षतिपूर्ति देने का भी दिया आदेश

संत कबीर नगर । अवयस्क बालिका के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी को एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कृष्ण कुमार पंचम की कोर्ट ने दोषसिद्ध करार देते हुए 11 वर्ष के सश्रम कारावास का सजा सुनाया । कोर्ट ने आरोपी बाल गोविन्द पर सजा के अतिरिक्त विभिन्न धाराओं में 20 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है । अर्थदण्ड का भुगतान न करने पर आरोपी को एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी । कोर्ट ने आरोपी के पिता काशी प्रसाद व भाई सुरेमन को अपहरण के आरोप में दोषसिद्ध करार देते हुए पांच वर्ष का सश्रम कारावास एवं आरोपी मां रमावती देवी को तीन वर्ष का सश्रम कारावास की सजा के साथ 14 हजार रुपए के अर्थदण्ड का भी फैसला सुनाया । कोर्ट ने अर्थदण्ड की सम्पूर्ण 34 हजार रुपए की धनराशि पीड़िता को देने का फैसला सुनाया । प्रकरण में पुलिस अधीक्षक के आदेश पर अपहरण का अभियोग पंजीकृत हुआ था । इसके साथ ही कोर्ट ने नालसा प्रतिकर स्कीम के अंतर्गत पीड़िता को 20 हजार रुपए का प्रतिकर देने का भी निर्णय दिया ।
विशेष लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट अभिमन्युपाल , सत्येन्द्र शुक्ल , अनिल कुमार सिंह व सत्य प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रकरण महुली थानाक्षेत्र के एक गांव का है । मामले में पीड़िता के पिता ने अभियोग पंजीकृत कराया था । उसका आरोप था कि दिनांक 29 मई 2015 को सुबह चार बजे उसकी 15 वर्षीय अवयस्क पुत्री घर से शौच के लिए गई थी । पहले से घात लगाए बैठे बाल गोविन्द , सुरेमन पुत्रगण काशी प्रसाद , रमावती देवी पत्नी काशी प्रसाद उसकी को बहला-फुसलाकर भगा ले गए । अवयस्क पुत्री को ले जाते हुए वादी की बहू ने देखा था और घर आ करके बताया । पुलिस ने तीन आरोपियों के विरुद्ध अपहरण का अभियोग पंजीकृत किया । विवेचना के दौरान आरोपी के पिता काशी प्रसाद पुत्र हरिराम और एक अन्य आरोपी विनय यादव पुत्र चन्द्र भूषण यादव ग्राम मुड़ियारी जो दूसरे गांव का रहने वाला है के नाम की बढ़ोत्तरी करके पांच आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया । विशेष लोक अभियोजक अभिमन्युपाल ने बताया कि एक आरोपी विनय यादव के लगातार अनुपस्थित रहने के कारण पत्रावली अलग कर दी गई । एडीजे व विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कृष्ण कुमार पंचम की कोर्ट ने सुनवाई के पश्चात आरोपी बाल गोविन्द को अपहरण व दुष्कर्म के आरोप में दोषसिद्ध करार देते हुए 11 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई । जबकि उसके पिता , मां व भाई को अपहरण के आरोप में दोषसिद्ध करार दिया ।

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