पिता पुत्र समेत तीन आरोपी दोषसिद्ध , एडीजे कोर्ट ने एक वर्ष के परिवीक्षा पर छोड़ा
-दुकान पर ढेला फेंकने के विवाद में हुआ था मारपीट
-परिवीक्षा काल के दौरान अपराध कारित करने पर कोर्ट पारित करेगा आदेश
संत कबीर नगर । मारपीट के पिता पुत्र समेत तीन आरोपियों को अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने दोषसिद्ध करार देते हुए सशर्त एक वर्ष के परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया । आरोपी पिता जगधर , पुत्र अशोक व रंगीलाल को सदाचरण बनाए रखने की शर्त पर 20 हजार रुपए के व्यक्तिगत बंधपत्र व समान धनराशि के दो जमानतनामा पर एडीजे की कोर्ट ने रिहा किया । कोर्ट ने परिवीक्षाकाल के दौरान समान प्रकृति व अन्य प्रकार का अपराध कारित करने पर दण्डादेश के विन्दु पर आदेश पारित करने का भी फैसला दिया । कोर्ट ने आरोपियों को हत्या के प्रयास व धारदार हथियार से आहत करने के आरोप में दोषमुक्त करने का फैसला दिया ।
मामला जिले के धनघटा थानाक्षेत्र के ग्राम मड़पौना का है । सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि प्रकरण में गणेश चौहान पुत्र मुन्नीलाल चौहान ने अभियोग पंजीकृत कराया था । उसका आरोप था कि गांव के कुसहर मेरे दुकान पर प्रत्येक दिन ढेला फेंकते थे । दिनांक 19 जून 2014 को मेरे पिता इसी बात का उलाहना देने गए थे । इसी रंजिश को लेकर रात करीब आठ बजे जगधर पुत्र चन्द्रिका , अशोक पुत्र जगधर , रंगीलाल पुत्र अशर्फी , सुरेन्द्र पुत्र राम बिलास व ठाकुर पुत्र चन्द्रिका मेरे पिता को लाठी फरसा से चोट पंहुचाने लगे । शोर सुनकर मैं भी गया तो आरोपियों ने लाठी फरसा से मारकर चोट पंहुचाया । जगधर व रंगीलाल फरसा से जान से मारने की नीयत से तथा शेष आरोपियों ने लाठी डंडा से चोट पंहुचाया और जान से मारने की धमकी दिया । पिता की हालत गम्भीर थी । पहले सीएचसी मलौली , उसके बाद जिला अस्पताल तथा बाद में गोरखपुर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया । पुलिस ने हत्या के प्रयास समेत विभिन्न धाराओं में अभियोग पंजीकृत करके विवेचना के उपरांत पांच आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया । सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि विचारण के दौरान आरोपी सुरेन्द्र व ठाकुर की मृत्यु हो गई । अभियोजन पक्ष की तरफ से आठ साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए । अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने पर आरोपियों को मारपीट कर बांया कंधा तोड़ने के आरोप में दोषसिद्ध करार देते हुए सदाचरण कायम रखने की शर्त पर एक वर्ष के परिवीक्षा पर रिहा किया । जबकि हत्या के प्रयास व धारदार हथियार से प्रहार करने के आरोप में दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया ।